जननांग शल्य चिकित्सा के बाद युवती को मिला पूर्ण स्त्रीत्व, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News
एम्स ऋषिकेश में जननांग शल्य चिकित्सा के बाद एक युवती को पूर्ण स्त्रीत्व प्रदान किया गया। एम्स निदेशक ने बताया कि यह एक अत्यन्त जटिल सर्जरी थी।
By Edited By: Updated: Thu, 20 Feb 2020 07:01 AM (IST)
ऋषिकेश, जेएनएन। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में जननांग शल्य चिकित्सा के बाद एक युवती को पूर्ण स्त्रीत्व प्रदान किया गया। एम्स निदेशक ने बताया कि यह एक अत्यन्त जटिल सर्जरी थी। यह उत्तर भारत में अपनी तरह की पहली सफल सर्जरी है। संस्थान के पुनर्निर्माण और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक स्त्री रोग विभाग ने 23 साल की अविवाहित युवती की नर्व स्पेयरिंग रिडक्शन क्लिटोरोप्लास्टी सर्जरी कर मेडिकल साइंस के क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल की है। इस युवती को जन्म से ही क्लिटोरल हाइपरट्रॉफी की शारीरिक विकृति थी। यानी बचपन से ही इसके जननांग विकसित नहीं हुए थे।
एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि जनपद हरिद्वार निवासी यह युवती जननांग विकृति की समस्या से परेशान थी। इस समस्या के कारण वह भविष्य में दाम्पत्य जीवन को लेकर बेहद चिंतित थी। बेटी की इस कमी को पूरा करने के लिए उसके पिता ने भी देश के विभिन्न नामी मेडिकल संस्थानों में उसका परीक्षण कराया, लेकिन कहीं भी उन्हें इसका समुचित उपचार नहीं मिला। उसके बाद उन्होंने एम्स ऋषिकेश में संपर्क किया। युवती की विभिन्न प्रकार की जांच कराने के बाद क्लिटोरोमेगॉली अर्थात क्लिरोटरल हाइपरट्रॉफी का पता चल सका। उसका कैरियोटाइप और हार्मोनल प्रोफाइल दोनों ही एक आम महिला की भांति सामान्य था।
निदेशक एम्स ने बताया कि यह एक बहुत ही दुर्लभ किस्म का मामला था। संस्थान के जांच पुनर्निर्माण और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक स्त्री रोग विभाग के प्रमुख डॉ. नवनीत मैगन और उनकी टीम ने नर्व स्पेयरिंग रिडक्शन क्लिटोरोप्लास्टी तकनीक के माध्यम से इसका सफल उपचार किया।
लिंग आकृति का था जननांग युवती का ऑपरेशन करने वाले सर्जन डॉ. नवनीत मैगन ने बताया कि युवती का यह अंग पुरुष लिंग की आकृति का था। यह सर्जरी लगभग दो घंटे तक चली और चिकित्सीय टीम उसे एक सामान्य स्त्री रूप देने में सफल रही। यह पूरी तरह से उसके जीवन को बदलने वाली सर्जरी है, क्योंकि अब वह एक सामान्य जीवन जी सकती है। अब वह दाम्पत्य जीवन के लिए भी पूरी तरह फिट है। उत्तर भारत में यह पहली सर्जरी एम्स ऋषिकेश पूरी दुनिया में पहला संस्थान है, जिसने रिकंस्ट्रक्टिव और कॉस्मेटिक-प्लास्टिक गायनोकोलॉजी विभाग की शुरुआत कर कॉस्मेटिक गायनोकोलॉजी में तीन साल का पोस्ट-डॉक्टोरल एमसीएच कोर्स शुरू किया है।
यह भी पढ़ें: Bone and joint disease conference: एम्स में अस्थि रोगों की नई तकनीकी पर किया गया मंथनएम्स निदेशक ने बताया कि यह एक अत्यन्त जटिल सर्जरी है। किसी युवती में इस प्रकार की प्रक्रिया वाली यह उत्तर भारत में अपनी तरह की पहली सफल सर्जरी है। बताया कि एम्स इस बीमारी से ग्रसित महिलाओं के लिए मेडिकल साइंस की उच्च तकनीक से कॉस्मेटिक और रिकंस्ट्रक्टिव गायनोकोलॉजी सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।
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